चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने न्यायपालिका की जिम्मेदारी को लेकर विशेष टिप्पणी की है. उन्होंने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका के भवन में जब फरियादी अपने मुकदमों को लेकर कदम रखते हैं तो उनकी आस्था को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. CJI डी वाई चंद्रचू़ड झारखंड हाईकोर्ट की नई इमारत का शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे. इस मौके पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी मौजूद थीं. CJI ने कहा कि मैं जब सुप्रीम कोर्ट में सात साल तक जज रहा तब मुझे न्याय और अन्याय का एहसास हुआ. उन्होंने आगे कहा कि ईंट और पत्थर से बनी इमारत आधुनिक राज्य और आधुनिक राष्ट्र का प्रतीक बन सकती है.
"निचली अदालत को सक्षम बनाना बेहद जरूरी"
CJI ने कहा कि सजा होने के पहले छोटे अपराधों में हजारों नागरिक जेलों में महीनों- सालों बंद रहते हैं. उनके पास ना साधन हैं ना जानकारी. बेगुनाह होने का सिद्धांत ही मूल सिद्धांत है. मेरा मानना है कि गरीब और विचाराधीन कैदियों को जमानत ना मिले तो न्यायपालिका में आस्था कैसे रहेगी. मुझे लगता है कि जिला अदालतों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरह सक्षम बनाना जरूरी है. उनकी गरिमा और गौरव नागरिकों से जुड़ी है.
"कचहरियों में महिलाओं के शौचालय तक नहीं हैं"
CJI ने कहा कि मैं अगर आपसे निचली अदालतों की बात करूं तो ये साफ है कि वहां पर मूलभूत सुविधाओं की खासी कमी है. कई कचहरियों में तो महिलाओं के शौचालय तक की सुविधा नहीं है. CJI ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि देश के 6 लाख 40 हजार गांवों में न्याय को पहुंचाना है. न्याय को लोगों के दरवाजे पर ले जाना है ही हमारा मकसद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कर हर घर पहुंचाना एक अहम कदम है.
from NDTV India - Latest https://ift.tt/KJP1wl2
No comments:
Post a Comment